त्रिकाल संध्या स्तोत्र | Trikal Sandhya

त्रिकाल संध्या का महत्व हिंदू धर्म में अत्यंत उच्च है। इस स्तोत्र का पाठ प्रातः, मध्यान्ह और संध्याकाल में करने से मन, वचन और कर्म शुद्ध होते हैं। यहाँ पाएं त्रिकाल संध्या स्तोत्र के श्लोक, हिंदी व अंग्रेज़ी अर्थ और इसके आध्यात्मिक लाभ।

त्रिकाल संध्या का महत्व

  • प्रातः स्मरण → आत्मशुद्धि व जागृति

  • मध्यान्ह ध्यान → धर्म और शक्ति की स्थिरता

  • संध्या प्रार्थना → मोह का नाश और शांति

 FAQs

Q1. त्रिकाल संध्या क्या है?
त्रिकाल संध्या प्रातः, मध्यान्ह और सायं तीनों समय की प्रार्थना है, जो आत्मशुद्धि और ईश्वर से जुड़ने का साधन है।

Q2. त्रिकाल संध्या का पाठ कब करना चाहिए?
सुबह सूर्योदय से पहले, दोपहर 12 बजे के आसपास और सूर्यास्त के समय इसका पाठ करना शुभ माना जाता है।

Q3. त्रिकाल संध्या करने के क्या लाभ हैं?
यह साधना मानसिक शांति, पाप क्षय, आत्मशुद्धि और आध्यात्मिक उन्नति प्रदान करती है।

Q4. क्या त्रिकाल संध्या स्तोत्र ऑनलाइन उपलब्ध है?
हाँ, DivineEcho Vibrations पर त्रिकाल संध्या स्तोत्र के श्लोक, अर्थ और लाभ उपलब्ध हैं।