श्री वेंकटेश स्तोत्रम् | Sri Venkatesha Stotram

श्री वेंकटेश स्तोत्रम् भगवान वेंकटेश्वर (बालाजी) की आराधना के लिए अत्यंत शुभ स्तोत्र है। श्रद्धा से इसका पाठ करने पर सभी कार्य सिद्ध होते हैं और जीवन में समृद्धि आती है।

🌺 श्री वेंकटेश्वर स्तोत्रम्

Sri Venkatesha Stotram


🕉️ 1.

कमलाकुच चूचुक कुंकमतो
नियतारुणि तातुल नीलतनो ।
कमलायत लोचन लोकपते
विजयी भव वेंकट शैलपते ॥

भावार्थ:
हे लक्ष्मीपति वेंकटेश्वर! आपके शरीर का रंग नीलकमल के समान श्याम है, और आपके वक्षस्थल पर लक्ष्मीजी के कुंकुम के चिह्न शोभित हैं। कमल के समान नेत्रों वाले, हे संसार के स्वामी! वेंकटाचल के नाथ! आप सदा विजयी रहें।


🕉️ 2.

सचतुर्मुख षण्मुख पंचमुख
प्रमुखा खिलदैवत मौलिमणे ।
शरणागत वत्सल सारनिधे
परिपालय मां वृष शैलपते ॥

भावार्थ:
हे वृषशैल (वेंकटाचल) के स्वामी! ब्रह्मा, कार्तिकेय और पंचमुख शिव आदि सभी देवताओं के शिरोमणि, शरणागतों पर कृपा करने वाले और करुणा के सागर प्रभो! मुझे अपनी शरण में लेकर रक्षा कीजिए।


🕉️ 3.

अतिवेलतया तव दुर्विषहैरनु
वेलकृतैरपराधशतैः ।
भरितं त्वरितं वृष शैलपते
परया कृपया परिपाहि हरे ॥

भावार्थ:
हे हरि! अज्ञानवश मैंने असंख्य अपराध किए हैं जो असह्य हैं। हे वृषशैलपति! अपनी परम कृपा से शीघ्र मुझे उन पापों से मुक्त करें और रक्षा करें।


🕉️ 4.

अधि वेंकट शैल मुदारमतेर्जनताभि
मताधिक दानरतात् ।
परदेवतया गदितानिगमैः
कमलादयितान्न परंकलये ॥

भावार्थ:
हे उदार वेंकटेश्वर! जो सभी लोकों को वरदान देते हैं और जिन्हें वेद परमदेवता कहते हैं — लक्ष्मी के प्रिय प्रभु! मैं आपसे बढ़कर किसी अन्य देवता को नहीं मानता।


🕉️ 5.

कल वेणुर वावश गोपवधू
शत कोटि वृतात्स्मर कोटि समात् ।
प्रति पल्लविकाभि मतात्सुखदात्
वसुदेव सुतान्न परंकलये ॥

भावार्थ:
हे वेंकटेश्वर! गोपियों के सैकड़ों करोड़ों मोहक भावों से भी अधिक मधुर स्वर वाले, वसुदेव के पुत्र श्रीकृष्णस्वरूप प्रभु! मैं आपके सिवा किसी अन्य को नहीं मानता।


🕉️ 6.

अभिराम गुणाकर दाशरधे
जगदेक धनुर्धर धीरमते ।
रघुनायक राम रमेश विभो
वरदो भव देव दया जलधे ॥

भावार्थ:
हे दाशरथि राम! आप गुणों के भंडार, धैर्यवान, जगत के अद्वितीय धनुर्धर हैं। रघुनाथ, रमेश (लक्ष्मीपति), दया सागर प्रभु! मुझे वर दीजिए, कृपा कीजिए।


🕉️ 7.

अवनी तनया कमनीय करं
रजनीकर चारु मुखांबुरुहम् ।
रजनीचर राजत मोमिहिरं
महनीय महं रघुराममये ॥

भावार्थ:
मैं उस राम का ध्यान करता हूँ, जिनका हाथ माता सीता ने पकड़ा है, जिनका मुख चंद्रमा के समान सुंदर है, और जो रावण रूपी रात्रिचर सूर्य के समान तेज से नष्ट करने वाले हैं।


🕉️ 8.

सुमुखं सुहृदं सुलभं सुखदं
स्वनुजं च सुकायम मोघशरम् ।
अपहाय रघूद्वय मन्यमहं
न कथंचन कंचन जातुभजे ॥

भावार्थ:
हे श्रीराम! आप सुंदर मुख वाले, सभी के हितकारी, सहज उपलब्ध, सुख देने वाले और सच्चे तीर चलाने वाले हैं। आपके और लक्ष्मण के सिवा मैं किसी अन्य देवता की कभी उपासना नहीं करता।


🕉️ 9.

विना वेंकटेशं न नाथो न नाथः
सदा वेंकटेशं स्मरामि स्मरामि ।
हरे वेंकटेश प्रसीद प्रसीद
प्रियं वेंकटॆश प्रयच्छ प्रयच्छ ॥

भावार्थ:
हे वेंकटेश! आपके सिवा मेरा कोई अन्य नाथ नहीं। मैं सदा आपको ही स्मरण करता हूँ। हे हरि, मुझ पर प्रसन्न हों, और वह वर दें जो आपको प्रिय हो।


🕉️ 10.

अहं दूरदस्ते पदां भोजयुग्म
प्रणामेच्छया गत्य सेवां करोमि ।
सकृत्सेवया नित्य सेवाफलं त्वं
प्रयच्छ पयच्छ प्रभो वेंकटेश ॥

भावार्थ:
हे वेंकटेश प्रभो! मैं आपसे दूर हूँ, परंतु आपके पादपद्मों को प्रणाम करने की इच्छा से सेवा करता हूँ। कृपया एक बार की सेवा से ही मुझे नित्यसेवा का फल प्रदान करें।


🕉️ 11.

अज्ञानिना मया दोषा न शेषान्विहितान् हरे ।
क्षमस्व त्वं क्षमस्व त्वं शेषशैल शिखामणे ॥

भावार्थ:
हे शेषशैल शिखामणि प्रभो! अज्ञानवश मुझसे अनेक दोष हुए हैं। कृपया उन सबको क्षमा करें, क्षमा करें, हे हरि!


🌿 सारांश (Conclusion):

यह स्तोत्र भक्त और भगवान वेंकटेश्वर (बालाजी) के बीच की भक्ति, विनम्रता और आत्मसमर्पण की मधुर अभिव्यक्ति है।
जो श्रद्धा से इसका पाठ करता है, उसके जीवन में शांति, समृद्धि, और ईश्वरीय कृपा का प्रवाह होता है।

FAQs प्रश्न 1: श्री वेंकटेश स्तोत्रम् का पाठ कब करना चाहिए?

उत्तर: प्रातःकाल या संध्या समय, स्वच्छ मन और श्रद्धा के साथ पाठ करना उत्तम माना जाता है।

प्रश्न 2: श्री वेंकटेश स्तोत्रम् के पाठ का क्या फल मिलता है?
उत्तर: इस स्तोत्र के पाठ से जीवन में धन, सुख, शांति और भक्ति की वृद्धि होती है।

प्रश्न 3: वेंकटेश स्तोत्र किसने रचा है?
उत्तर: श्री वेंकटेश स्तोत्रम् की रचना श्री वेदांतदेशिक स्वामी द्वारा की गई मानी जाती है।